बुधवार, 20 मार्च 2024

कोई तो सुनो हमारी आक्रोश की ध्वनियाँ Koi To Suno Hamari Akrosh Ki Dhvniya ( Aadiwasi Kavita आदिवासी कविता)

 

 


कोई तो सुनो हमारी आक्रोश की ध्वनियाँ

                                        -Dr.Dilip Girhe

हम लड़ रहे हैं

अपने हक़ के लिए

अपने अधिकारों के लिए

तब भी

यहाँ के शहरों की सड़कें

यहाँ का जिला प्रशासन

यहाँ के विधायक

यहाँ के मुख्यमंत्री  

यहाँ के सांसद

यहाँ की राज्यसभा

यहाँ के प्रधानमंत्री

यहाँ के राष्ट्रपति

हमारी आवाज क्यों नहीं सुन रहे हैं?

हम तो हमारा संवैधानिक

मान-सम्मान मांग रहे हैं

स्वतंत्रता, समता और बंधुता का

कोई तो सुनो हमारी आक्रोश की धनियाँ

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