कोई तो सुनो हमारी आक्रोश की ध्वनियाँ
-Dr.Dilip Girhe
हम लड़ रहे हैं
अपने हक़ के लिए
अपने अधिकारों के लिए
तब भी
यहाँ के शहरों की सड़कें
यहाँ का जिला प्रशासन
यहाँ के विधायक
यहाँ के मुख्यमंत्री
यहाँ के सांसद
यहाँ की राज्यसभा
यहाँ के प्रधानमंत्री
यहाँ के राष्ट्रपति
हमारी आवाज क्यों नहीं सुन रहे हैं?
हम तो हमारा संवैधानिक
मान-सम्मान मांग रहे हैं
स्वतंत्रता, समता और बंधुता का
कोई तो सुनो हमारी आक्रोश की धनियाँ।
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