बिरजिया आदिवासी समुदाय का रायज करम पर्व
झारखंड के आदिवासी समुदायों में बिरजिया आदिवासी समुदाय महत्वपूर्ण है| इस समुदाय के अनेक सांस्कृतिक त्योहार है| जिसमें से रायज करम एक त्योहार यह समुदाय मनाता है| यह पर्भाव भाई-बहन का पर्व है| यह पर्व भादों महीने की एकादशी की रात यह पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के मनाया जाता है| इस दिन के शाम को कुँवारे लडकें द्वारा तीन डालियाँ अखाड़ा में गाड़ी जाती है| अखाड़ा यह आदिवासी समुदाय के सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करने का स्थान होता है| इन तीन डालियों में एक डाली करम की, दूसरी डाली सीधा की और तीसरी डाली धवई की होती है| इस प्रक्रिया में बैगा मुख्य पाहन के रूप में काम करता है| वह करम की डाली को एक पकवान टांग देता है| इसी के साथ बैगा चावल, हँड़िया और लाल मुर्गे की बलि से पूजा विधि संपन्न करता है| इसी दिन कुंवारी बहनें दिन भर उपवास करती है| और जिस जगह पर करम को गड़ा रहता है उस जगह की पूजा करती है| पूजा विधि के बात रात भर बिरजिया आदिवासी समुदाय के लोकप्रिय गाने गाये जाते हैं उस पर नाच समूह प्रस्तुत होता है| दूसरे दिन सब भाई-बहनें करम डाल को सवेरे उठाकर नदी या तालाब में विसर्जन कर देते है| इस प्रकार से रायज करम पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है|
संदर्भ-रणेंद्र सं.झारखंड एन्साइक्लोपीडिया मांदर की धमक और गुलई की खुशबू
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