मंगलवार, 19 मार्च 2024

हमारी पहचान (आदिवासी कविता) Hamari Pahachan Aadiwasi kavita

 


 हमारी पहचान


हमारी पहचान

न वनवासी है

न गिरिजन है

न हरिजन है

हमारी पहचान

आदिवासी है  

मूलनिवासी है

देशवासी है

 

हमारी पहचान

न कोई मंदिर है

न कोई भवन है

न कोई मस्जिद है

हमारी पहचान

प्रकृति प्रेम है

जल-जंगल-ज़मीन हैं

 

हमारी पहचान

न कोई राम राज्य है

न कोई कृष्ण राज्य है

हमारी पहचान

रावण राज्य

की सभ्यता है

 

हमारी पहचान

हमारी लोकगाथाएँ हैं

हमारे मिथक हैं

हमारी शौर्यगाथाएँ हैं

हमारे लोकगीत हैं

हमारी कविताएँ हैं

हमारी अपनी बोली भाषाएँ हैं

 

हमारी पहचान

हमारी संस्कृति है

हमारे अपने पर्व, त्योहार और नृत्य हैं

 

हमारी पहचान

बिरसा मुंडा, तंट्या भील

सोमा डोमा आंध, बाबुराव शेडमाके

राणी दुर्गावती, सिनगी-झानो-फूलो   

तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, चाँद-भैरव   

जैसे कई क्रांतिकारियों

और वीरांगनाओं का इतिहास हैं


हमारी पहचान

सिंधु घाटी सभ्यता की

अनार्य नस्ल है

                    -डॉ.दिलीप गिऱ्हे 

1 टिप्पणी:

Pallavi Satpute ने कहा…

आपने आदिवासी लोगोकी की पहेचान ईतने अच्छेसे बया की... उसके लिये हम आपके शुक्र गुजार हैं...