मंगलवार, 19 मार्च 2024

भाषा से कुछ झलकता है (काव्य लेखन) Bhasha Se Kuch Jhalakata Hai ....Kavita Lekhan

 


 

भाषा से कुछ झलकता है

                           - डॉ. दिलीप गिऱ्हे 

भाषा से व्यक्तित्व झलकता है
भाषा से अस्तित्व झलकता है
भाषा से पहचान झलकती है
भाषा से संस्कृति के विभिन्न पहलू झलकते हैं
भाषा से भाषण कौशल झलकता है
भाषा से किया हुआ भाष्य झलकता है
चाहे व अच्छा हो या बूरा।
और भी न जाने भाषा से कुछ
झलकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: