बुधवार, 20 मार्च 2024

जंगल और आदिवासी पर संकट Jangal Aur Aadiwasi par sankat (Aadiwasi kavita आदिवासी कविता )

 


जंगल और आदिवासी पर संकट

                    -Dr.Dilip Girhe

जिस तरह से जंगल कट रहे हैं

उसी तरह से आदिवासी भी कट रहे हैं

बस फ़र्क इतना हैं कि

जंगल विकास के नाम पर कुल्हाड़ी के बगैर

बड़े-बड़े पूंजीपति माफिया के बुल्डोजरों से कट रहे हैं

तो आदिवासी

माओवादी  

नक्सलवादी

कोयला चोर के नाम पर कट रहे हैं

कटी हुईं जंगल की लकड़ी

शहरों की बड़ी-बड़ी इमारतों के लिए काम आ रही हैं

तो कटी हुई आदिवासियों की लाशें

सरकारी अफसरों को परमोशन के लिए काम आ रही हैं

2 टिप्‍पणियां:

Sukanya D. Girhe ने कहा…

Aadiwasiyo ka aur jungle ka sangharsh bahut achhese bataya hain. Jo pida jungle ki ho rahi hain , usi pida se aaj aadiwasi log bhi ja rahe hain.

Pallavi Satpute ने कहा…

जो बाते हमने कभी सोची ही नहीं थी... उसके बारे मैं लिखकर आपने आदिवासी लोगो के लिये जो सहकार्य किया... उसे शब्दो मैं बया करणा आसान नही हैं. धन्यवाद सर जी........