जरूरत
-Dr.Dilip Girhe
हमें जरूरत हैं
अपने अस्तित्व को
अपनी अस्मिता को
अपनी भाषा को
अपनी संस्कृति को
अपने इतिहास को
अपने जल, जंगल और ज़मीन को
बचाने की...!
हमें जरूरत हैं
अपने हक़ और अधिकारों की
लड़ाई लड़ने के लिए
भारतीय संविधान को
पढ़ने की...!
हमें जरूरत हैं
अपने महापुरुषों को
अपनी वीरांगनाओं को
याद करने की...!
हमें जरूरत हैं
बिरसा मुंडा को
सोमा डोमा आंध को
तिलका मांझी को
रानी दुर्गावती को
टंट्या भील को
बाबूराव शेडमाके को
सीनगी दाई को
सिदो-कान्हू मुर्मू को
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को
ज्योतिबा-सावित्रीबाई फुले को
शिवाजी महाराज को
शाहू महाराज को
पढ़ने की..!
हमें जरूरत हैं
अपने शोषण के ख़िलाफ़
अन्याय-अत्याचार के ख़िलाफ़
पूंजीपतियों के ख़िलाफ़
प्रतिरोध करने की...!
हमें जरूरत हैं
न किसी मंदिर की
न किसी मस्जिद की
बल्कि
हमें जरूरत हैं
विश्वविद्यालयों की
स्वास्थ्य केंद्रों की
पुस्तक ग्रंथालयों की...!
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