शनिवार, 23 मार्च 2024

माड़िया गोंड आदिवासी समुदाय की जानकारी Madiya Gond Aadiwasi Samudaya

             


           माड़िया  गोंड आदिवासी समुदाय                                                                          -Dr. Dilip Girhe 

        यह आदिवासी समुदाय महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पाया जाता है। इस समुदाय को ‘मरिया गोंड’ भी कहा जाता है। महाराष्ट्र के चंद्रपुर और गढ़चिरोली के जिलों में यह समूह निवास करता है तो छत्तीसगढ़ के बस्तर (अबूझमाड़) क्षेत्र में भी पाया जाता है। इस समुदाय की बोली भाषा गोंडी बोली की उपभाषा ‘माड़िया’ है। यह समुदाय को दो उपभागों में बाँटा गया है एक ‘अबूझमाड़िया’ दूसरा ‘बाइसन हॉर्न माड़िया’। ‘माड़िया’ शब्द की निर्मिती ‘माड़’ वृक्ष से हुई है। क्योंकि यह समूह जिस क्षेत्र में अधिक मात्रा में रहते हैं वहाँ पर माड़ वृक्ष की संख्या अधिक है। बस्तर के क्षेत्र में ‘मूर’ वृक्ष भी अधिक मिलते हैं। इसलिए वहाँ पर यह समूह ‘मुरिया गोंड’ नाम से जाना जाता है। इन समुदाय का ‘कोया धर्म’ है इसलिए उन्हें ‘कोयतूर’ भी कहा जाता है। कोयतूर गोंडी भाषा का शब्द है। उनका महत्वपूर्ण त्योहार ‘नोवापंडूम’ है। 

        गोंडी भाषा में नोवा को ‘नवीन’ कहा जाता है। जब खेत से फसल कटाई के बाद घर में लाई जाती है तब उस फ़सल की पूजा की जाती है और उसी फ़सल का भोज बनाकर ‘नोवापंडूम’ त्योहार या उत्सव मनाया जाता है। इस समुदाय का ‘रेलानृत्य’ है। इसी नृत्य के माध्यम से वे अपनी सांस्कृतिक पहचान कराते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: