शनिवार, 23 मार्च 2024

महाराष्ट्र के कोरकू आदिवासी समुदाय की ‘खम्म कथा’ Maharashtra ke korku adiwasi samuday ki khamm katha

महाराष्ट्र के कोरकू आदिवासी समुदाय की ‘खम्म की कथा’ 



महाराष्ट्र की कोरकू जनजाति की कथा में ‘खम्म की कथा’ बहुत ही प्रसिद्ध है। यह कथा एक विधिनाट्य के रूप में भी यथावत है। कोरकू जनजाति इस कथा को परंपरागत पद्धति से प्रस्तुत करती है। इस कथा के माध्यम से कोरकू लोग अपने ऊपर हुए अन्याय-अत्याचार की कहानी बताते हैं। इस कथा में मेघनाद का वर्णन किया गया है। यह कथा इस प्रकार है-“एक समय में कोरकू जनजातियों पर एक राक्षस बहुत ही अन्याय-अत्याचार करता था। इससे त्रस्त होकर कोरकू जनजातियों ने महादेव से विनती की कि उस राक्षस को ख़त्म किया जाए। तब महादेव ने अपना भक्त रावण को इस अन्याय-अत्याचार की जानकारी दे दी। उसी समय आदिवासी राजा रावण ने अपने सेनापति मेघनाद को आज्ञा दी और मेघनाद ने उस राक्षस के साथ युद्ध करके उसका वध कर दिया और कोरकू जनजातियों का रक्षण किया।” इसलिए कोरकू जनजाति तब से लेकर आज तक ‘खम्म’ के रूप में मेघनाद की पूजा करने लगी। खम्म का यह त्योहार वे सितम्बर से अक्तूबर माह के बीच मनाया जाता है।

-संकलन

Dr.Dilip Girhe 

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