शुक्रवार, 22 मार्च 2024

साहित्य में जीवंतता Sahitya Mein Jivantata ( kavya Lekhan काव्य लेखन)


 

साहित्य में जीवंतता
                -Dr.Dilip Girhe
साहित्य में जीवंतता तब आती है 
जब साहित्यकार प्रत्यक्ष अनुभूति को रेखांकित करता है
जब उसे गहराई से लिखा जाता है
जब उसका गहराई से चिंतन किया जाता है
जब उस पर बढ़-चढ़कर चर्चा होती है
जब उसके गुण-दोषों को बताया जाता है
जब उसको वास्तविक जीवन में लागू किया जाता है
जब वह मनोवैज्ञानिक स्वरूप धारण करता है
जब विद्यार्थी-शिक्षक उसे पढ़ता है
जब उसमें समाज का हित समाहित होता है
जब उसमें में सुख-दुख का दर्दनाक चित्रण मिलता है
जब उसकी आलोचना होती है
जब उसका विरोध-प्रतिरोध होता है
जब उसे पढ़कर दूसरा कोई लिखने की तमना करता है