सोमवार, 15 अप्रैल 2024

शहडोल के आदिवासियों की वर्तमान विकास स्थिति

 


शहडोल के आदिवासियों की वर्तमान विकास स्थिति

मध्यप्रदेश राज्य के शहडोल क्षेत्र की वर्तमान विकास की स्थिति बहुत ही गंभीर दिखाई दे रही है। यहाँ पर हम पुष्पराजगढ़ के तीन गांव पिपरहा, बकान गरजनबीजा का आदिवासी समुदाय आज भी जंगलों के बीच अपना जीवन यापन करता है।

मुख्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित....

फिल हाल अभी चुनाव नजदीक आया है फिर भी शहडोल प्रभाग के आदिवासियों को इसकी कुछ भी जानकारी नहीं है। यानि आज भी वहाँ का आदिवासी समाज मुख्यधारा से कटा हुआ है। वे तो फिल हाल में महुआ के महक में डूबे हैं। उनसे कोई चुनाव की बात करता है तो वे कहते कि हम गाँव के सब लोग तय करते हैं और हम सभी उसी को वोट देते हैं। उनकी बोली में कहे तो “वोट ला हम नहीं जानी, पढ़े न लढ़े जेन ला सब कोई गाँव के देहें तेनला हम हूँ दै देवो।” पिपरहा, बकान और गरजनबीजा गाँव में आज भी मुख्य बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही है। 

पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य इन सुविधाओं से आज भी वहाँ का आदिवासी समाज वंचित है। आज भी वहाँ के लोग नदी और तालाब का ही पानी पीते हैं और अँधेरे में ही रात काटते है। उनका कहना है कि आज गाँव की मुख्य समस्या पानी और बिजली की है। उसी क्षेत्र की झुलिया बाई बैगा का कहना है कि बिजली और कुआं भी बहुत जरूरी है। शहडोल के आदिवासी उस क्षेत्र की पहचान है। यानि कि सरकार को उनकी बुनियादी सुविधाओं ध्यान में रखकर जल्द से जल्द उनको सुविधाएँ पहुंचानी आवश्यक है। आदिवासी को समाज के मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार को प्रथम उनकी मुख्य समस्याओं को हल करना जरूरी है।

संदर्भ न्यूज़        

कोई टिप्पणी नहीं: