मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

१६ अप्रैल २०२४: जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा सरहुल मिलन समारोह का आयोजन

 


जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा सरहुल मिलन समारोह का आयोजन

झारखंड/चाईबासा-

कोल्हान विश्वविद्यालय के जनजातीय व क्षेत्रीय विभाग द्वारा दिनांक १६ अप्रैल २०२४ को डॉ.बसंत चाकी के निर्देशन में सरहुल मिलन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विविध आदिवासी साहित्य के विद्वान मौजूद थे। सेवी शंकर लालकृष्ण चन्द्र बोदरानरेश देवगलदिनेश महतो आदि प्रमुख विद्वान के रूप में उपस्थित थे। जानिए विद्वानों ने सरहुल मिलन पर कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं जिसके निष्कर्ष निम्नलिखित हैं-

  • सरहुल परब यह जनजातीय जीवन दर्शन में विश्व का सर्वश्रेष्ठ दर्शन है। सरहुल पर्व में वृक्षों को अधिक महत्त्व दिया गया। जिसके संदर्भ आदिकाल से ही मिलते हैं।
  • आदिवासी भाषा और लिपि की अपनी एक विशेषता है।
  • आदिवासी समुदाय का अपना विशिष्ट इतिहास है। जिसके प्रमाण उनकी संस्कृति से मिलते हैं।
  • आदिवासी भाषाओं को लिपिबद्ध करना होगा और उनकी संस्कृति का संरक्षण करना होगा।
  • आदिवासी अस्मिता के साथ-साथ उनके प्राकृतिक संसाधनों को भी बचाना होगा।

कोई भी संगोष्ठी या परिसंवाद आयोजन का एक विशिष्ट उद्देश्य होता है। वह उद्देश्य सामने रखकर ही उसकी रुपरेखा आयोजित की जाती है। सरहुल मिलन कार्यक्रम के रूपरेखा भी विशिष्ट उद्देश्य से ही थी। इस संगोष्ठी ने अपना उद्देश्य सफल किया हुआ दिखता है। 

संदर्भ न्यूज़ 


कोई टिप्पणी नहीं: