रविवार, 14 अप्रैल 2024

डॉ. अम्बेडकर और आदिवासी DR. AMBEDKAR AUR AADIWASI

 


डॉ. अम्बेडकर और आदिवासी

-Dr.Dilip Girhe

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की समाज व्यवस्था

डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय समाज में समतामूलक तत्त्वों को स्थापित किया है। उनका भारतीय संविधान का लेखन समाज के हर एक तबके को न्याय देता हैं। कुछ लोग मानते हैं कि डॉ. अम्बेडकर ने सिर्फ दलितों के उद्धार के लिए कार्य किया है। यह उनका कथन सारासार गलत है। भारतीय संविधान ही इसका प्रतिउत्त्तर है। कुछ आदिवासी बौद्धिक वर्ग भी डॉ. अम्बेडकर ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया है। ऐसा प्रतीत करता है। जो लोग यह सब कहते हैं कि डॉ. अम्बेडकर ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया है। उन सभी ने डॉ. अम्बेडकर को सही ढ़ंग से नहीं पढ़ा। सिर्फ एक-दो किताब पढ़कर ऐसा कहना बिल्कुल गलत है। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत की संरचना बहुत ही सुन्दर तरीके से स्थापित करने डॉ. अम्बेडकर एकमात्र महापुरुष है। कुलमिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि ‘चींटी से लेकर हाथी तक’ प्रकृति में जितने भी जीव-जंतु रहते हैं। उनके समान ही अम्बेडकर भारतीय समाज के हर एक तबके को न्याय दिया है।

कुछ आदिवासी साहित्य के जानकर के मत...

कुछ आदिवासी साहित्य के जानकर का कहना है कि डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में ‘अनुसूचित जनजाति’ की जगह ‘आदिवासी’ शब्द प्रयोग नहीं किया है। इस वजह से डॉ. अम्बेडकर पर सवाल उठाते हैं। शायद उनका ज्ञान कम है इसीलिए ऐसे बोलते हैं। अम्बेडकर ने सबसे पहले सभी मुद्दों का अध्ययन किया। तभी ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द प्रयोग भारतीय संविधान में किया। जयपाल सिंह मुंडा ने संविधान सभा में ‘आदिवासी’ शब्द कहने की मांग की थी। परन्तु इस पर डॉ. अम्बेडकर बहुत विचार-विमर्श करने बाद ही ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द की अनुमति दे दी। इसकी मूल वजह यह है कि ‘आदिवासी’ या ‘मूलनिवासी’ शब्द सामान्यसूचक है।

डॉ. अम्बेडकर की मूलनिवासी संकल्पना

इसका संदर्भ यह है कि भारत देश मूलनिवासियों का देश कहा जाता है। यहाँ का हर एक बहुजन मूलनिवासी है। यह आर्य-अनार्य संकल्पना है। भारत में अनार्य वंश के जितने भी वर्ग मिलते हैं। वे ‘मूलनिवासी’ जिसे ‘आदिवासी’ कहा जाता है। सभी अनार्य वंश के लोग आदिवासी कैसे हो सकते हैं। तो यह विवाद का विषय हो सकता था। इस वजह से कानून के शब्दों में आदिवासी को अनुसूचित जनजाति शब्द पर ही डॉ. अम्बेडकर ने मुहर लगाई। यह समाजीकरण की दृष्टिकोण से उचित है। नहीं तो आज कोई भी खुद को ‘आदिवासी’ या ‘मूलनिवासी’ कहकर अनुसूचित जनजातियों के हक़, अधिकार, योजनाओं पर दावा करता था। इसी वजह से कानून के शब्द में ‘अनुसूचित जनजाति’ ही उचित है।      

1 टिप्पणी:

Aruna Girhe ने कहा…

यथार्थ जानकारी