गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

जानिए पेसा कानून क्या है-JANIYE PESA ACT KYA HAI





पेसा कानून
-Dr.Dilip Girhe

यह कानून 24 दिसंबर 1996 को लागू किया गया। इस कानून को ‘पंचायत विस्तार (अनुसूचित क्षेत्र) अधिनियम’ भी कहा जाता है। इस कानून को अनुसूचित क्षेत्रों में निवासित आदिवासियों के लिए बनाया गया है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य यह है कि “आदिवासी अस्मिता एवं संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करना और साथ ही ग्राम पंचायतों के माध्यम से आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करना है।” देश के दस राज्यों में यह कानून लागू हैं। इसमें मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना आदि राज्य हैं। महाराष्ट्र में यह कानून 13 जिलों के लिए लागू है जिसमें गढ़चिरोली, अमरावती, चंद्रपुर, यवतमाळ, नांदेड़, अहमदनगर, पुणे, नाशिक, नंदुरबार, जलगाँव, धुळे, ठाणे, पालघर आदि जिले हैं। जिस उद्देश्य से यह कानून बना था, वह उद्देश्य तो पूरा न हो सका लेकिन इस कानून के तहत जो भी योजनाएँ हैं, वे योजनाएँ आदिवासियों तक नहीं पहुँच पाई। इसके कारण आदिवासी समाज का विकास बहुत ही पीछे है।

आज आदिवासी इलाकों में बहुराष्ट्रीय एवं निजी कपनियों ने आक्रमण करना शुरू कर दिया है। वे कम्पनियाँ आदिवासियों की जमीनों पर असंवैधानिक तरीके से कब्ज़ा कर रही हैं,  जिसका विरोध आदिवासी कर रहे हैं, लेकिन उनके पक्ष में कुछ भी नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में पांचवी और छठी अनुसूची का सही तरीके से पालन न होने के कारण आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है। जिसमें मुख्य रूप से अधिकार इस प्रकार हैं- अनुसूचित क्षेत्रों में पांचवी और छठी अनुसूची को सख्ती से लागू किया जाए, विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) को सरकारी अवकाश घोषित किया जाए, वनाधिकार कानून का सही तरीके से अनुपालन किया जाए, अनुसूचित क्षेत्रों के अतिरिक्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ट्रायबल एडवायजरी कौन्सिल (TAC) का गठन करके आदिवासियों के अधिकार, सुरक्षा, संरक्षण, उनकी संस्कृति एवं अस्मिता की रक्षा की जाए।