संत मुंगसाजी माउली
की अमृतवाणी
- मुंगसाजी के विचार संपूर्ण पृथ्वी का मूल्य हैं।
- मुंगसाजी का सिक्का धाक ब्रह्माधिका।
- पहाड़ी को देखकर आप कहेंगे कि पूर्व दिशा वही है जहां से सूरज उगता है।
- न कोई बड़ा है, न कोई छोटा है, मूलतः सभी समान हैं।
- मुंगसाजी को गद्दी तक्त की जरूरत नहीं? कफ़न जब कंधे पर डाला जाता है तो काम आता ही है।
- मुंगसाजी का हाथ संपूर्ण जगन्नाथ है।
- तुम मुझे देखो, मैं तुम्हें देखता हूँ, देखते हैं कौन तुमसे मुँह मोड़ता है।
- मैं वो नहीं हूं जो बार-बार आता हूं। मैं अंधेरा होने के बाद ही आता हूं।
- भगवान, तुम क्या कर रहे हो? भगवान् ने मेरा दाँव बाँध दिया है।
- मैं न जाता हूँ न आता हूँ मैं ज्यों की त्यों हूँ।
- पुंढरपुर का विठोबा वही हम हैं।
- किसी को बैठने का काम मिला है तो किसी को खड़े होने का।
- जो जैसा है वैसा ही पायेगा।
- मेरे दरबार से कोई भी भूखा नहीं जाएगा।
संत मुंगसाजी माउली ने पृथ्वी पर सभी मौजूद जीव-जंतुओं के प्राणों की रक्षा करने लिए सन्देश दिया है। साथ ही उन्होंने उच्च-नीच का भेद भी नहीं किया है, उनके सामने 'न कोई छोटा है न कोई बड़ा है' सभी प्राणी जीव समान है। अतः हम संत मुंगसाजी माउली के अमृतवाणी विचारों के माध्यम उनके संपूर्ण मानवतावादी विचारों को समझ सकते हैं।
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संदर्भ:
तुकाराम भिसे- आंध जमातीचा प्राचीन व वांशिक इतिहास
1 टिप्पणी:
जय मूंगासाजि माऊली
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