विस्थापन का दर्द
Dr. Dilip Girhe
वे लोग
हमें सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही
अपने जंगलों से
अपनी जमीनों से
अपने पहाड़ों से
खदेड़ते आये हैं
आज भी विकास के नाम
खदेड़ रहे हैं
और बेघर बना रहे हैं
हमें अपने जमीनों से
पहाड़ों से
जंगलों से
संसाधनों से
अब यह विकास की नीति
ने एक रूप धारण किया है
आदिवासी को विस्थापित करके
लेकिन उसका दर्द आदिवासी
आज भी महसूस कर रहा है।
निष्कर्ष:
वर्तमान समय में आदिवासियों के सामने विस्थापन का प्रश्न महत्वपूर्ण है। आज सरकार ने 'विकास की नीति' के नाम पर आदिवासियों को अपने प्राकृतिक संसाधनों को उजड़ना शुरू किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि आदिवासी अपने जमीनों से बेघर होता गया। और उसका मुआवजा उसे कुछ भी नहीं मिला।
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