सोमवार, 17 जून 2024

अमेज़न के जंगलों में जीवनयापन करनेवाले ‘माकुना आदिवासी’ समुदाय की विवाह पद्धति-Amazon Ke Janglon Mein Jivanyapan Karanewale 'Makuna Aadiwasi' Samuday Ki Vivah Padhdhti

 


अमेज़न के जंगलों में जीवनयापन करनेवाले ‘माकुना आदिवासी’ समुदाय की विवाह पद्धति
-Dr.Dilip Girhe
अमेज़न जंगल में कई मूलनिवासी आदिवासी समुदाय निवास करते हैं। पिछले कई वर्षों के अध्ययन किया गया है कि इन आदिवासियों के बीच कोई दुश्मनी तो नहीं है, लेकिन इनके बीच ज्यादा दोस्ती भी नहीं मिलती है। जब तक वे अपनी-अपनी सीमाओं का पालन करते हुए जंगल में घूमते फ़िरते हैं, तब तक उनके बीच कोई संघर्ष नहीं होता। और जब झगड़े होते हैं वो जानलेवा भी होते हैं। एक-दूसरे के साथ लगातार झगड़े के कारण उनमें आपस में रोटी-बेटी का संबंध भी कम पाया जाता है। स्वीडन में उप्साला विश्वविद्यालय के मानव वैज्ञानिक ‘काय आर्हेम’ ने अमेज़न के जंगलों में रहने वाली आदिवासियों का अध्ययन किया। उन्होंने माकुना आदिवासी समुदाय का विशेष रूप से अध्ययन किया। उन्होंने अपने शोध में लिखा हैं कि माकुना समुदाय के लोग शादी करने के लिए कौन कौनसे विधि का प्रयोग करते हैं। इसका संक्षिप्त अध्ययन उन्होंने अपने शोध में पाया है। 
वैसे तो माकुना आदिवासी समुदाय बहुत छोटा है। जनजाति वैसे ही छोटी है। जब आर्हेम ने अध्ययन किया तो पाया गया कि इस समुदाय के 400 सदस्य थे। यह आदिवासी समुदाय कोलंबिया के वोस्पेस क्षेत्र के वर्षावनों में रहता है। जो अमेज़न के उत्तर-पश्चिमी भाग का एक जंगली हिस्सा है। वे अपना जीवनयापन जमीनों पर हुआ एकत्रित कचरे को जलाकर वहां खेती करते हैं। जब उनको एक जगह पर ऐसा वातावरण नहीं मिलता है तो वे दूसरी जगह ढूंढ लेते हैं। इसके अलावा इनकी वे उनकी आजीविका जंगली फल, नदी की मछली और शिकार पर निर्भर होती है। ‘कड़वा मैनिओक’ उनका मुख्य कृषि उत्पाद है। माकुना आदिवासी समुदाय के दो समूह हैं। आम तौर पर दोनों समूहों में व्यक्तियों की संख्या समान होती है। एक समूह अमेज़न उपनदी ‘कोमेना’ नामक नदी के किनारे रहता है, तो दूसरा अमेज़न की दूसरी उपनदी ‘अपापोर्स’ नदी के घाटियों में रहते हैं। उनके घर नदी के किनारों पर लकड़ी के होते हैं। एक लंबे घर में 10-15 लोग रहते हैं। एक घर में दो-तीन परिवार एक साथ-साथ रहते हुए मिलते हैं।
माकुना समुदाय में पितृसत्तात्मक व्यवस्था पाई जाती है। जिसे हम संयुक्त परिवार कहते हैं उसमें आम तौर पर दो या तीन भाई अपनी पत्नियों के साथ रहते हैं। इन सभी माकुनों के पूर्वज एक ही हैं और उन्हीं की याद में वे अपने इलाकों में त्यौहार मानते हैं। लगभग सभी आदिम जनजातियों में करीबी रिश्तेदारों के बीच विवाह वर्जित है। इसे अब वैज्ञानिक पुष्टि भी मिल गई है। यह समुदाय नए रिश्तों का विरोध करता है। यह तब स्वीकार किया जाता है जब किसी व्यक्ति के भाई के बच्चे उसकी पत्नी के रिश्तेदारों से संबंधित हों। ऐसे विवाहों के माध्यम से पारिवारिक विसर्जन में वृद्धि खेती, शिकार और भोजन एकत्र करने के मामले में फायदेमंद है। इस तरह की बातचीत उनके जीवन जीने के तरीके में फायदेमंद होता है। ऐसे रिश्तेदारों पर भरोसा करना और ज़रूरत के समय मदद की उम्मीद करना आसान होता है। यदि चचेरे भाई और चाची का विवाह होता है, तो उसी समय चचेरे भाई और चाचा के विवाह की संभावना पर भी विचार किया जाता है।
माकुनाओं में तीन प्रकार के विवाह होते हैं। एक प्रत्यक्ष संबंध प्रकार। इसमें परिवार के बुजुर्गों की भूमिका अहम् होती है। उनमें बातचीत होकर वधू मूल्य निर्धारित होता है। अगर दूल्हे को उसकी याद आती है तो दुल्हन-दूल्हे मिलने की मान्यता दी जाती है। एक परिवार की लड़की दूसरे परिवार में जाती है उसी समय उस परिवार की एक लड़की मुआवजे के रूप में इस घर में आती है। इससे धन प्रेषण की समस्या हल हो जाती है। हालाँकि दोनों तरफ के बड़े-बुजुर्ग बेटी में चाहे कितने भी गुण हों, लेकिन उसके वे अवगुण ही बताते हैं। इससे बेटे की कमियाँ दूर हो जाती है। 
माकुना आदिवासी समुदाय के बीच एक और विवाह पद्धति पारंपरिक रूप से देखी गई है। वह है दुल्हन का अपहरण करके विवाह करना। हालाँकि यह पारंपरिक विधि अब वर्तमान में नहीं देखने को मिल रही है। माकुना आदिवासियों ने इस विवाह पद्धति को ‘दुल्हन शिकार’ कहा जाता है। हालांकि दुल्हन के पक्ष वाले लोग इसे चोरी बताते हैं। जब दूल्हा व्यवसाय में उतरता है, तो उसे बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से शादी के लिए उसका शिकार किया जाता है। जैसे कि कोई हत्यारों के साथ शिकार के लिए निकला हो। 
जब इस समुदाय के लड़के दुल्हन का अपहरण करने निकलते हैं तो दुल्हन को उसे अपना इलाका छोड़ने के लिए कहा जाता है। जहाँ पर उसका कोई नाते-संबंध वाला न हो। फिर दुल्हन का अपहरण किया जाता है। इस विधि को ‘गुरिल्ला हमला’ कहाँ जाता है। 
जब दुल्हन पकड़ी जाती है, तो वह समूह उसके साथ जल्दी से घर लौट आता है। उस वक्त दुल्हन को कंधे पर उठा लिया जाता है। इसी बीच दूसरा पक्ष जवाबी हमला करता है और अपनी दुल्हन को बचा लेता है। साथ ही उनके इलाके की किसी दुल्हन का अपहरण करने की कोशिश की जाती है। हालाँकि कभी-कभी उस समुदाय का दूत दूसरे समुदाय में आता है। समय निर्णय करता है। फिर दोनों पक्ष के बुजुर्ग एकत्र होते हैं और बातचीत, मुआवजा आदि तय होने के बाद विवाह समारोह संपन्न कराया जाता है।
एक दूल्हे का आमतौर पर विवाह योग्य उम्र की बेटी के साथ  करीबी रिश्ता नहीं होता है। ऐसे समय में उसे दुल्हन का अपहरण करना पड़ता है। फिर वह दुल्हन को बदले में उसके कबीले के लिए एक मूल्यवान वस्तु देता है। दुल्हन के अपहरण के पीछे दूसरा कोई राजनीतिक कारण नहीं होता है। दो पक्षों के बीच दुश्मनी या दरार को दूर करने के लिए भी यह तरीका अपनाया जाता है। दुल्हन का अपहरण किया जाना पूर्व निर्धारित होता है। लेकिन जब किसी पुरुष को पत्नी की जरूरत होती है तो यह पुरुष की जिम्मेदारी होती है कि वह अभियान में भाग लेने वाले नायकों की मदद करें। जब किसी समुदाय के पक्ष की दुल्हन को राजनीतिक कारण के लिए अपहरण होता है तो इसे रोकने के लिए संपूर्ण समुदाय का भाग लेना समान माना जाता है। अतः तब उस अपहरण को रोकने के लिए मदद की जाती है।  
संभवतः आजकल बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में दुल्हन अपहरण की रस्म प्रतीकात्मक है। दुल्हन अपहरणकर्ता उस समुदाय से पहले ही संपर्क कर लेते हैं जहां से दुल्हन का अपहरण किया जाना होता है। इस प्रथा का पालन यह समझौता करके किया जाता है कि हम आज रात आपकी अमुक लड़की का अपहरण करने आएंगे, तो आपकी लड़की का अपहरण करने के लिए हमें सबसे सुविधाजनक दिन कौन-सा है। यह आकस्मिक रक्त हानि को भी रोकता है। यह रीति-रिवाजों का भी पालन करता है और दोनों पक्ष जश्न मना सकते हैं और मेल-मिलाप कर सकते हैं। अतीत में एक तीसरे प्रकार का वैवाहिक विवाह भी अस्तित्व में था। यानी अपनी सद्भावना व्यक्त करना या अपने परिवार की बेटी को घर के उन लोगों को उपहार देना, जिनसे मदद मिले। बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं है। उस समुदाय के बुजुर्ग दूसरे समुदाय के बुजुर्गों से मिलते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि वे हमारी बेटी को स्वीकार करें। दुल्हे के पक्षं के बड़े लोग इसे स्वीकार करते हैं। फिर समय के साथ दुल्हन के रिश्तेदार धीरे-धीरे अपनी इच्छा जाहिर करते हैं। इसे पूरा करना दूल्हे के परिवार का कर्तव्य होता है। 
अमेज़न के इलाकों में अभी भी कई स्थानिक आदिवासी समुदायों का अभी भी विस्तार से अध्ययन नहीं हुआ है। तो समुदायों का अस्तित्व अभी अभी प्राप्त हुआ है। इसलिए कई मानववैज्ञानिकों ने यह कहा की अमेज़न के जंगली प्रदेशों में अभी-भी अद्भुत् ख़ोज बाकि है। जिसका अंदाजा हम माकुना आदिवासी समुदाय के विवाह पद्धति से ले सकते हैं।  

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संदर्भ:
निरंजन घाटे-आदिवासींचे अनोखे विश्व

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