गुरुवार, 8 अगस्त 2024

9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है? 9 August Ko Vishv Aadiwasi Divas kyon manaya jata hai?

 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है?

Dr. Dilip Girhe

प्रस्ताविक:

सम्पूर्ण भारतवर्ष और विश्व में सभी जगहों पर 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिवस सम्पूर्ण विश्व के आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को पेश करने के लिए एक अवसर देता है। यानी कि आदिवासियत के विविध सिद्धांत को विषद करता है। इस दिन के अवसर पर आदिवासी संस्कृति और आदिवासी समुदाय के भाई बहनों का समपर्ण या सम्मान किया जाता है। पृथ्वी को बचाने के लिए अनेक संरक्षनात्मक उपाय भी किये जाते हैं। दुनिया के आदिवासी समुदाय हजारों वर्षों से प्राकृतिक सानिध्य में रहते आये हैं। उनकी पहचान प्रकृति के प्रति प्रेम की रही है। इसीलिए उनको प्रकृति के पूजारी भी कहा जाता हैं। उन्होंने प्रकृति के हर एक जीव-जन्तु, पशु-पक्षी और प्राणी जातियों से अपना सामंजस्य बनाये रखा है।

विश्व आदिवासी दिवस की खास विशेषता:

1 प्रति वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। सन 1982 से इसको संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया है। तब से प्रति वर्ष विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।

2 आदिवासियों का वास्तव्य प्रकृति के सानिध्य में रहा है। इसी वजह से उनको मूलनिवासी की संज्ञा दी गई है।

3 इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि आदिवासी समुदाय अपनी अस्मिता एवं संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

4 वर्ष 2024 में काफ़ी हद तक आदिवासी समुदाय अपनी पहचान एवं हक़ को जान चुके हैं। फिर वर्तमान में उनके सामने कई प्रकार की चुनौतियां है। जैसे कि विस्थापन, भूमि अधिग्रहण, वनों की कटाई, सामाजिक उत्पीड़िन आदि।

आदिवासी समुदाय की विशिष्टता उनके संस्कृति, अस्मिता, भाषा, इतिहास, परंपरा पर टिकी हुई है। इसका संरक्षण करना आदिवासियों का कर्तव्य है। दुनिया भर के आदिवासी समुदाय के आंकड़ों पर बात करें तो लगभग सम्पूर्ण आबादी के 5% आदिवासी है। यही आकंड़ा  भारत के संदर्भ में 8% का है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त 1982 को आदिवासी के हक़ और अधिकार पाने के लिए एक खास बैठक का आयोजन किया था। तभी उस बैठक में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई।

विश्व आदिवासी दिवस मनाने का कारण:

 स्वाधीनता संग्राम के बाद यह पाया गया कि दुनिया भर के आदिवासी समुदाय कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन समस्याओं में रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या प्रमुख पाई गई। शिक्षा तो दूर की बात रही है। इन सभी समस्याओं का हल करने और उनके हक और अधिकारियों को पाने ले लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त 1982 को एक विशेष समूह के लिए बैठक बुलाई गई। उसे यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिजिन्स पापुलेशन (UNWGIP) कहा जाता है। इस समूह ने आधिकारिक रूप से 9 अगस्त को आदिवासी दिवस मनाने की मान्यता दे दी। तथा इस बैठक में आदिवासियों के हक़ और अधिकारियों का संरक्षण करने की भी बात की गई। सन् 1994 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने फैसला लिया कि हर वर्ष को 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के रूप में इसे दुनियाभर में मनाया जाएगा।  तब से संपूर्ण विश्व मे आदिवासी समुदाय यह दिवस मनाता है। 

इसे भी पढ़िए...


ब्लॉग से जुड़ने के लिए निम्न ग्रुप जॉइन करे...

Whatsapp Group
Whatsapp Channel

Telegram channel

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Very nice

बेनामी ने कहा…

वाह