रामदयाल मुंडा की 'वापसी' कविता में ग्राम जीवन
-Dr.Dilip Girhe
'वापसी'
उस दिन बंधन को बड़ा अच्छा लगा था
जब उसने महीनों की ऊहापोह और अनिश्चितता के बाद
निश्चय कर लिया
कि वह अपने पुराने गाँव को वापस चला जाएगा।
जब रेलगाड़ी के छूटने की सीटी बजी थी
तो उसके शरीर में एक विचित्र सिहरन दौड़ गई थी।
असम के चायबगान में काम करते-करते बीते
दस साल का समय सिकुड़कर
कुछ भी नहीं रह गया था-
उसकी दृष्टि के चारों ओर
उसका पुराना, छोड़ा हुआ गाँव
एक जादू की तरह छा गया था-
गाँव को जाती लाल मिट्टी की सड़क
अब तो पक्की हो गई होगी,
इमली के पेड़ के नीचे नाच अखाड़े से लगा
एक स्कूल होगा
और ढोल-नगाड़े की गूंज के बीच
बच्चों का हल्ला-गुल्ला
अब कुछ दूसरा ही लगता होगा।
और
लोग भी तो बदल गए होंगे-
वह बूढ़ा ओझा, रांदो गुरु, अब क्या करता होगा ?
अस्पताल की दवा-दारू और सूई-टिकिया के सामने
उसकी झाड़-फूंक अब कुछ कमजोर पड़ गई होगी।
लेकिन दादी का चटाई बुनना
अब भी वैसे ही चलता होगा।
और वैसे ही सुनाई देता होगा कभी-कभार आधी रात को
गाँव के कुत्तों का भूंकना।"
और तब वह जगा दिवास्वप्न से-
उसके सामने था
हृदय को सुन्न कर देनेवाला एकाकीपन।
यह नहीं कि वह अकेला था।
लोगों की कमी नहीं थी।
लोग आ-जा रहे थे।
एक भरी व्यस्तता थी चारों ओर।
बंधन हर चेहरे को पहचानने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन हर चेहरा उसे यूँ देख रहा है।
जैसे कि वह कोई बड़ा प्रश्नवाचक चिह्न हो।
बंधन के सामने
तब और अब और उसके बीच का सारा समय निश्चल खड़ा है।
तब, वह भाग गया था अपना गाँव छोड़कर।
अब, उसका गाँव भाग गया है
उसे छोड़कर।
कविता में ग्राम जीवन का यथार्थ:
झारखंड के मुंडारी भाषा के कवि रामदयाल मुंडा छोटी-छोटी कविताओं के माध्यम से बड़ी-बड़ी बाते कहकर जाते हैं। ऐसे ही बात उन्होंने 'वापसी' कविता में कहीं। उन्होंने वापसी कविता के माध्यम ग्राम जीवन का जिवंत चित्रण किया है। आदिवासी कविता की शैली आज के दौर में अनोखी दिखती है। रामदयाल मुंडा आत्मकथन शैली में वापसी कविता को प्रस्तुत करते हैं। इस कविता में 'बंधन' नामक एक लड़के का चरित्र प्रमुख है। उसके गाँव छोड़ने के बाद और आज की स्थिति का वास्तविक चित्रण वे करते हैं।
कविता का चरित्र बंधन नामक लड़का दस साल पहले अपना गाँव छोड़कर असम के चायबागान में काम करने के लिए जाता है। कवि ने प्रमुखतः से इस कविता में 'तब और अब' यानि भूतकालीन एवं वर्तमानकालीन परिस्थितियों को चित्रित किया है। 'तब' यानि जब बंधन अपना गाँव छोड़कर चला गया था। 'अब' यानि जब वह गाँव वापसी करता है तब का परिवेश कैसा है। इन दोनों परिस्थितियों का चित्रण बंधन के दिमाग में चलता रहता है। उस परिवेश को काव्यात्मक रूप देने का कार्य रामदयाल मुंडा ने 'वापसी' कविता में किया है। उन्होंने 'फ्लैशबैक' शैली को भी अपनाया है। कविता का आरंभ ही फ्लैशबैक शैली से ही किया हुआ मिलता है।
कहानी तब की है जब 'बंधन' गाँव वापसी करने के लिए ट्रेन में बैठता है। जब ट्रेन की सिटी बजी और गाड़ी चली तब उसके मन में कई प्रकार के प्रश्नों ने घर बनाया। उसके शरीर हावभाव भी बदले दिखते हैं। दस साल असम के चायबागानों में काम करने के बाद उसे पूराने गाँव का चित्र कुछ भी याद नहीं था। जब वह ट्रेन में बैठा तो धीर-धीरे याद करने लगा कि मेरा गाँव कैसा होगा! उसके आँखों के सामने पुराने गाँव का चित्र छा गया। वह मन-ही-मन कल्पना के घेरे में बंध गया और अपने गाँव के बारे में अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करने लगा। वह यह सोच रहा था कि अब हमारे गाँव को जाने वाली लाल मिट्टी की सड़क बदल गई होंगी। और वही पर बच्चे ढोल नगाड़े की आवाज में नाचते-गाते स्कूल के मैदानों में आनंद लेते होंगे। गाँव के सभी लोग भी बदल गए होंगे। बूढ़ा ओझा, रांदो गुरु न जाने क्या क्या करते होंगे। आधुनिक अस्पतालों के आगे अब उनकी दवा-दारू या झाड़फूक भी नहीं चलती होगी। परन्तु दादी का चटाई बुनना जैसे की वैसा ही चलता होगा। गाँव में कुत्तों का भोंकना भी वैसा ही होगा।
यह संपूर्ण चित्रण 'बंधन' दिवास्वप्नों में देख रहा था। तब उसका गाँव आ गया और वह दिवास्वप्न से 'वर्तमान' में आ जाता है। तब वह ट्रेन से उतरकर अकेला ही अपनी गाँव की ओर चल पड़ा। गाँव में लोगों की कमी नहीं थी, लोग आ जा रहे थे। 'बंधन' हर चहरे को पहचानने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसे हर एक चेहरा अजनबी लग रहा था। जैसे वह गाँव में अनजान व्यक्ति आया हो। बंधन के सामने 'तब और अब' का चित्र मौजूद था। 'तब' वह अपना गाँव छोड़कर काम के लिए भाग गया था। 'अब' उसका गाँव उसे छोड़कर भाग गया है।
इस प्रकार से रामदयाल मुंडा ने वापसी कविता के माध्यम से गाँव छोड़ने के बाद बंधन की वास्तविक स्थिति का वर्णन किया है।
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