आदित्य कुमार मांडी ने 21वीं सदी के 'बदलाव या असर' के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं
-Dr. Dilip Girhe
'असर'
इंसान के लिए
धरती के लिए
तरह तरह की विचारों से
सज रहा है साहित्य जगत ।
मकसद एक ही है
जीव जगत अच्छा से रह सके
हरियाली ऐसी ही बरकरार रहे
सभ्यता बदल रही है
बड़ा तेजी से।
विज्ञान की तरक्की भी हो रही है
काफी तेजी से
मानव सभ्यता भी बदल रहा है
विज्ञान के विचारों से।
इंसान के लिए
इंसान के पास वक्त नहीं
माता-पिता की तरफ देखने की फुरसत नहीं
इंसान सचमुच
अब बहुत व्यस्त हो गया है।
इंसानी सभ्यता के बारे में
सोचने वाले लोग
दिन ब दिन कम होते जा रहे हैं।
लोग बदल रहे हैं
जिस समाज में मूर्ति पूजा नहीं थी
वहाँ आज मूर्ति पूजा हो रही है
पुरखा परम्पराएँ छोड़ रहा है
आदिवासी समाज।
यह बदलाव है या असर
अपने लिए, समुदाय-देश के लिए
जरा सोचें
इस असर के बारे में।
काव्य संवेदना:-
असर या बदलाव हर समय की मांग है। समय कोई भी क्यों न हो उस समय में बदलाव या परिवर्तन हमें दिखाई देते हैं। बदलाव या असर का मानव सभ्यता पर प्रभाव पड़ा है। यह प्रभाव दो प्रकार का रहा है। सकारात्मक और नकारात्मक। हर कोई कहता है कि मानव जीवन में बदलाव होने चाहिए। बदलाव के कारण मानव समाज में अनेक परिस्थितियों में बदल हो जाता है। इसी वजह से बदलाव अपेक्षित है। कवि आदित्य कुमार मांडी भी असर या बदलाव के बारे सोचते हैं। उनकी यह सोच कविता में तब्दील हो जाती है और उनकी कलम 'असर' कविता लिखने के लिए प्रेरित हो जाती है। वे उस असर की बात करते हैं जिस असर ने आदिवासी जीवन प्रभावित हुआ है। आधुनिकता बदलाव के कारण आदिवासी समाज जिस परिस्थिति से गुजर रहा है। उसका वास्तविक चित्रण वे 'असर' कविता में करते हैं।
वे अपनी कविता में आदिवासी समाज की संवेदनशीलत बातों पर प्रकाश डालते हैं। साहित्य ने हमेशा समाज का ही हित चाहा है। आज इंसान को अपना जीवन जीने के लिए जो आवश्यक चीजें चाहिए उसकी बात साहित्य करता है। वह धरती को संरक्षित करने की भी बात करता है। लेकिन इसपर लिखता है किंतु प्रत्यक्ष कृति नहीं करता है। साहित्य इंसान और धरती को बचाने की बात करता है। वह मनुष्य प्राणी से कहना चाहता है कि इंसान को धरती बचानी है। उसपर हरियाणा बरकरार रखना मनुष्य का कर्तव्य है। साथ ही हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखना यानी सभ्यता को बचाना है। चाहे विज्ञान की जितनी भी तेज़ी से तरकी हो मानव सभ्यता बचनी चाहिए। उससे ही साहित्य या मानव समाज की सार्थकता टिकी रहेगी।
कवि अपनी कविता के माध्यम से कहना चाहते हैं कि आज आधुनिकता ने इतना परिवर्तन किया कि मनुष्य को मनुष्य पहचानने से इंकार कर रहा है। वह अपने माता-पिता को भी पहचानने से इंकार कर रहा है। परिवार के सभी सदस्यों से अकेला रहा रहा है। एकत्र कुटुंब पद्धति को छोड़कर चला गया है। दया-माया भूल गया है। सिर्फ विज्ञान तंत्र के बारे में सोच रहा है। व्यक्ति बदल गया कि लोग अपने आप बदल रहे हैं। जिस समाज में मूर्तिपूजा नहीं थी वहाँ पर हो रही है। यानी पुरखा अपनी मूल परंपरा छोड़ता जा रहा है। यह असर या बदलाव ने जो समाज में परिवर्तन लाये हैं। उन सभी परिवर्तनों के बारे में एक बार सभी को सोचने-समझने की जरूरत है।
इस प्रकार से कवि आदित्य कुमार मांडी ने 'असर' कविता में परिवर्तन की लड़ाई की बात की है।
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