वाहरु सोनवणे ने अपनी कविता में बताया आंदोलन का मतलब
-Dr. Dilip Girhe
'आंदोलन का मतलब'
आंदोलन का मतलब
दो चार दिनों का मेला नहीं होता
ना ही वह नदी में आई बाढ़ होता है
आंदोलन का मतलब इन्सानियत का स्रोत-
सतत् विकसित जिसका प्रवाह
प्रवाह वह-
मिट्टी के कण से झर-झर कर
छोटे-बड़े झरनों को
जोड़ता, समा लेता है।
यह वही प्रवाह है-जो रुकता नहीं है
पत्थर डालकर भी
रोको, तो नहीं रुकता !
बल खा कर
पहाड़ और चट्टानें तोड़कर
बना लेता राह ऊबड़-खाबड़ में
समतल महासागर की ओर
गतिशील होता !
अरे भले आदमी-
यह लगन तो ऐसी ही है
यह लगन तो ऐसी ही है।
-वाहरु सोनवणे
कविता का स्वर:
मराठी व भीलोरी भाषा के वरिष्ठ कवि वाहरु दादा सोनवणे है। उनकी कविता में दलित-आदिवासी साहित्य के आंदोलन के स्वर मिलते हैं। वाहरु दादा ने लगभग 40 वर्षों से श्रमिक संगठन जुड़कर काम किया है। फिलहाल अभी भी उनका कार्य चालू है। धूलियाँ जिले के शहादा तालुके से उन्होंने आदिवासी आंदोलन चलाया है। आदिवासी संस्कृति बचाने तथा उनको रोटी, कपड़ा और मकान पाने के लिए उनकी कविताओं का संघर्ष आज भी जारी है। उनके गोधड़ कविता का अनुवाद निशिकांत ठकार ने 'पहाड़ हिलने लगा' नाम से किया है। आज समाज का हर एक तपका अपने हक़ और अधिकार पाने के लिए संघर्ष या आंदोलन कर रहा है। कवि वाहरु दादा सोनवणे ने 'आंदोलन का मतलब' नामक कविता में आंदोलन का अर्थ अपने तरीके से बताया है।आंदोलन प्रतिरोध के रूप में भी किया जा सकता है।
कवि आंदोलन का मतलब अपनी कविता में बताते हैं कि आंदोलन का मतलब दो चार दिन का मेला नहीं होता है। जो कुछ दिन बीतने के बाद समाप्त होता। आंदोलन यह ना किसी नदी को आई बाढ़ की तरह होता है। जो बारिश खत्म होने के बाद बाढ़ का प्रवाह के साथ समाप्त हो जाय। कवि आंदोलन का मतलब इंसानियत का एक मुख्य स्रोत होता जिसका प्रवाह सतत चलता है। यह प्रवाह मिट्टी के हर एक छोटे-छोटे कणों से बना हुआ होता है। जो कण छोटे-बड़े झरनों को जोड़ते हो और उसमें समाहित होते हैं। उसी प्रकार आंदोलन का स्वरूप होता है। आंदोलन एक हाथ से दो हाथ जोड़कर आगे चलने वाला निरंतर प्रवाह होता है। यह प्रवाह कभी भी नहीं रुकता है। इस प्रवाह में दिन-प्रतिदिन लोग जुड़ते हैं। चाहे इस प्रवाह में कितने भी पत्थर डाले जाए। वह प्रवाह नहीं रुकता है। बड़े-बड़े पहाड़ों और चट्टानों को तोड़कर वह प्रवाह महासागर में मिल जाता है और इसकी गतिशीलता और भी तेज़ बन जाती है।
इस प्रकार से वाहरु सोनवणे आंदोलन का मतलब अपनी कविता के माध्यम से विविध संदर्भ देकर बताते हैं।
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