मंगलवार, 14 जनवरी 2025

चंद्रमोहन किस्कू की कविता में माँ की यादें (Aadiwasi kavita-Mahua chunati aadiwasi ladaki - Tribal Poetry)

चंद्रमोहन किस्कू की कविता में माँ की यादें

Dr. Dilip Girhe


माँ की याद

दुख के समय 

आँसू गिरने पर 

तुम ही तो माँ पोंछती थी...


मीठे स्वर में 

लोरी गाकर सुलाती थी 

नींद न आने पर, 

और तुम पूरी रात 

जागती रहती थी, मुझे 

नींद के सपने मेरे 

पूरी करवाती थी...


तुम ही तो माँ 

वर्षा के पानी जैसे 

मुझ पर प्यार वर्षाती थी 

आपने न खाकर 

मुझे भरपेट खिलाती थी 

सभी तरह के कष्टों से 

मुझे बचाती थी...

अब बदल गया है युग 

दया-प्यार का कोई 

मूल्य नहीं है, 

प्यारे रिश्तों में 

तीखापन आ गया है 

अब मनुष्य मुलाक़ातों के साथ ही 

मार-काट मचा रहे हैं 

बाढ़ के पानी की तरह 

इन्सानी खून बहा रहे हैं


इन सबके बावजूद माँ 

तुम बदली नहीं हो 

मुझ पर प्यार की 

वर्षा करना भूली नहीं हो


अब तुम्हारी गैर मौजूदगी में 

तुम्हे याद कर 

छाती भीग रही मेरी 

आँसू से...

 -चंद्रमोहन किस्कू-महुआ चुनती आदिवासी लड़की


काव्य संवेदना:

आज संसार में माँ की ममता अपरंपार है। वह अनेक कष्टों को झेलकर अपने बच्चे की सपने पूरे करती है। ऐसी माँ की ममता कवि चंद्रमोहन किस्कू अपनी कविता 'माँ की याद' में बताते हैं। माँ की मौजूदगी में हमें जो प्यार मिला है। वह विश्व की किसी भी कोने में नहीं मिल सकता है। ना ही इस प्यार का सौदा किया जाता सकता है ना ही यह प्यार किसी बाज़ार के दुकान में मिलता है। वह प्यार सिर्फ और सिर्फ माँ ही दे सकती है। वह दुःख के समय आँसू गिरने पर भी आँसू पोछती न जाने अपने बच्चे के लिए क्या- क्या नहीं करती है। अपने बच्चे को सुलाने के लिए घंटों-घंटों तक लोरी गाती है। वह यह नहीं देखती है कि रात बहुत हो चुकी है अब लोरी न गाना चाहिए। वह स्वयं रातभर जगती है परंतु अपने बच्चे को लोरी गा-गाकर सुलाती है। 

कवि अपनी कविता में आगे लिखते हैं कि जिस प्रकार से वर्षा का पानी बरसकर मनुष्य को आनंदानुभूति प्रदान करता है। उसी प्रकार से माँ प्यार पाया गया है। वह दिन रात कष्ट करके अपने बच्चों को खाने की व्यवस्था करता है। वह यह नहीं सोचती है कि पहले मुझे खाना खाना है। पहले अपने बच्चों को खिलाती और बच गया तो वह खाती। किन्तु आज संसार में लोगों का रहन-सहन बदल गया है। दया-माया-प्रेम की अब कमी महसूस हो रही है। व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ के लिए सब कुछ कर रहा है। फिर भी इसी युग में भी माँ का प्यार-प्रेम सर्वश्रेष्ठ है। मनुष्य-मनुष्य में अहंकार की वजह से मार काट हो रही, खून बहने लगा है। इन सभी अहंकारी प्रवृत्तियों के बावजूद भी माँ की ममता की यादें जिंदा है। इस ममता का भरी यादों को अनेक कवियों ने काव्य में जगह दी है। जिसे हम उन सभी बातों को ऐतिहासिक रूप से देख सकते हैं। 

इस प्रकार से कवि चंद्रमोहन किस्कू ने अपनी कविता में माँ की ममता के अनेक संदर्भ स्पष्ट किए हैं।

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