मेरे बारे में

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मैं डॉ. दिलीप लक्ष्मण गिऱ्हे, महाराष्ट्र के हिंगोली जिला तहसील औंढा, गोलेगाव का निवासी हूँ। मेरी शिक्षा एम. ए, नेट पीएचडी हिंदी, डी.एड है। मैं वर्तमान में नवगण शिक्षा संस्था द्वारा संचालित वसंतदादा पाटिल कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय, पाटोदा, जिला-बिड में हिंदी विषय का सहायक प्राध्यापक हूँ। मैंने अपने पीएचडी का शोध कार्य महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से 'हिंदी और मराठी आदिवासी कविताओं में जीवन संघर्ष' विषय पर पूरा किया है। मुझे अस्मितामूलक विमर्श पर लिखने की अभिरुचि। मेरे दलित, आदिवासी, स्त्री विर्मश, हिंदी साहित्य जैसे विषय पर ४० से ज्यादा शोध आलेख प्रकाशित हैं। मैं कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, परिसंवादों में का हिस्सा बन चूँका हूँ। मुझे यूजीसी द्वारा नेशलन फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया है। मैं स्वयं आदिवासी होने के नाते आदिवासी विषय पर मुझे लिखने की अभिरुचि है। इस लिहाज से ही मैंने 'आदिवासी जीवन संघर्ष की गाथा' ब्लॉग लेखन कार्य शुरू किया है। ताकि समस्त भारत वर्ष के संपूर्ण नागरिकों को 'आदिवासियत' से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं की जानकारी मिल सकें। 

संपर्क

डॉ.दिलीप गिऱ्हे 

हिंदी विभाग,

सहायक प्राध्यापक,

वसंतदादा पाटिल कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय, पाटोदा जि.बीड (महाराष्ट्र)-414204

संपर्क सूत्र : 0860570839209284669525

ईमेल: girhedilip4@gmail.com


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3 टिप्‍पणियां:

Sukanya D. Girhe ने कहा…

Very nice sir ji

Dr babita kajal ने कहा…

बहुत अच्छा कार्य 👍

neetisha xalxo ने कहा…

यह हम सभी को सामूहिक जिम्मेवारी हैंकी हम जिस समाज से आते हैं, वहां बहुत कम लोग इस शिक्षा दीक्षा और नौकरियों को को पा रहे हैं। जहां हम पहुंचे हैं वहां अपने जैसे और अपने से बेहतर 20 20 आदिवासी भाई बहन को भी ला सके तो जीवन ऐसे ही आगे सार्थक तरीके से चिन्हित किया जा सकेगा। आपके जरूरी पहल को झारखंड की भूमि से सादर जोहार। आपकी कलम चले, और आप और 20 dr दिलीप गिरहे बना सके यह उम्मीद करते हैं।
वाकई अनुकरणीय काम। सलाम, जय भीम , और हूल जोहार।।